Wednesday, September 29, 2010


जीवन किसे हाथ .........

जीवन नन्ही पानी की बूँद का ...
गिरे अगर रेतीले रेगिस्तान पर ,
ग़ुम जाता है सूखी रेत पर उसका वजूद ....

ओर बगिया में फूल पर गिरे तो ,
सुकून मिलता है देखने वालो को कुछ पल ,
प्रकर्ती की सुन्दरता कहलाती है ओर
ख़तम हो जाती कुछ देर बाद

लेकिन वही नन्ही सी बूँद ,
स्वाती नक्षत्र में सीप में गिरे तो
मोती बन जाती कर अमर हो जाती
ओर बेशकीमती आभूषण बन अमर हो जाती

सोचने सिर्फ ये है की
इस बूँद का गिरना किसके हाथ है...
कर्म ,किस्मत इश्वर या प्रारब्ध ??????

Saturday, September 25, 2010

बेटियाँ


इश्वर का अप्रतिम उपहार है बेटियाँ

माँ के सुख दुःख की राजदार है बेटियाँ
पिता की तरक्की का आगाज है बेटियाँ

भाई के आँगन की चहचहात है बेटियाँ

सीने में धडकते दिल का अरमान है बेटियाँ
पूनम कीरात बिखरती चांदनी है बेटियाँ

बगिया में खिले फूलो की महक है बेटियाँ

सागर में उठती चंचल तरंगे है बेटियाँ

सुना है वो घर का आँगन जिसके

पेड़ की डाली पर

चिड़िया सी फुदकती ना हो बेटियाँ...



Tuesday, September 21, 2010


माँ का आँचल .....

माँ का आँचल उस शीतल आसमान की तरह
जो दिन की कड़ी धुप के बाद शाम को ठंडक देता है ..
ओर जिसमे चाँद अपनी कलाओ के साथ छोटे से बड़ा होता है
ओर वो आसमान उसको देख कर भावमय रहता है ...

माँ का आँचल उस सागर की तरह
जिसमे दिन भर ना जाने कीतनी तरंगे उठती है पर
पर पास आ कर प्यार से छूने वालो को
वो लहरे प्यार भरा सुकून देती है ...

माँ का आँचल उस अँधेरे कमरे में दिए के सामान
जिसके तले आते ही जीवन के हर अंधरे मिट जाते
ओर उजालो के बदले इस दिए में
प्रेम ओर आदर डाले जाते ....

Saturday, September 18, 2010

जीवन साथी


पल हज़ारो पल खुशियों के दिए ,

लाखो पल मुस्कराहट के ,

दिल की गहराईयों में छुपे वो लम्हे प्यार के ,

जिस पल हर छोटी बड़ी ख्वाहिश पूरी हुई ,

हर पल मेरे दिल को शीशे सी हिफाजत मिली

पर इन सबसे बड़ा एक पल एक वो लम्हा .....

जहा में ओर तुम नहीं हम बन जाते है  

Tuesday, September 7, 2010


रिश्ते जीवन का आधार ,

पर बदल जाते है वक़्त के साथ

या रूप बदल जाता है उनका ,

या फिर एक शक्स उलझ जाता है

अपने उत्तरदायित्वों को निभाने में और

नहीं चल पाता हमारे अनुसार और

हम सोच लेते है वो बदल गया,

पर ना रिश्ता बदलता है

न वो सख्स बदलता है ॥

बदल जाती है हमारी सोच ........

जो रिश्तो के रूप को बदल देती है .

Sunday, September 5, 2010


इश्वर की बनायीं स्रष्टि में सब ख़ास होता है

तभी तो वो माँ के रूप के बाद शिक्षक रूप में होता है ...............

छोटा सा बच्चा जब स्कूल में जाता है ...

पेंसिल पकड़ने का ज्ञान उसे शिक्षक ही बताता है ,

उसी कालम के ताकत पर बच्चा सफल होता जाता है ,

किसी को डॉक्टर , इंजिनियर ,किसीको कलेक्टर ......

शिक्षक ही बनाता है .....

शिक्षक वो आग है जो कच्चे घडे को पकाते है ,

जीवन के पथ पर निर्भय होकर चलना सीख्लाते ,

उनका दिया ज्ञान जीवन पर्यंत चलता जाता है ...

खुद उलझा है पर अपने शिष्यों को सुलझाता है ...

शिक्षक है समाज का सबसे अहम् व्यक्तित्व ।

इनके शिक्षा से ही देश के भविष्य की टिकी नींव

शिक्षक है उस मोमबती के सामान

जो स्वयं जलकर ,दूसरो का रोशन करता जहाँ..........