Friday, August 20, 2010


चन्द्रमा की खूबसूरती पर ये काला दाग ...
कीसी ने कहा राहु द्वारा दिया गया चोट का निशान ,
या ब्रह्मा द्वारा रति का मुख बनाने में प्रयुक्त सार भाग
या अपने भाई विष को अपने हर्दय में रखता है चाँद.....
या

शायद सही सीख देता है इस जीवन में
कोई नहीं बेदाग़ यहाँ ....इसलिए
अवगुणों को पीछे कर गुणों को विकसीत कर लो
जिससे ये दुनिया जमी से उठा फलक पर बेठा दे

Thursday, August 19, 2010




कोई परदे में बंद ओर कही बिलकुल बेपर्दा ,
कोई शक्ति का रूप तो कही बिलकुल अबला
कोई ममता का दरिया तो कही क्रूरता की हद ....
क्या है ये.............ये नारी है ..........
कोई दौलत के नशे में मस्त
तो कोई मदीरा पीके पस्त
कोई भाई का दुश्मन तो कोई जीवन सवारने में व्यस्त .....
क्या है ये..........ये नर है


कही सूखी जमीन कही अथा सागर
कही अकाल का साया तो कही भरे है गागर
कही सावन की ठंडी फुहारे तो कही
फटकर बरसते बादल ..........
क्या है ये .....ये प्रकर्ती है

कभी गर्मी के थपेड़े कभी बारिश की फुहार
कभी सर्दी की ठंडक ओर कभी सूखे पतों की मार
कभी बासंती रंग ओर कभी घटाए अपार
क्या है ये ..ये मौसम है ....



कुछ अन्सुल्जे सवाल कुछ निरुत्तर जवाब
कुछ अनकहे शब्द कुछ अनसुने वाक्य
कुछ सपने अधूरे से कुछ पुरे होने को बेताब .
क्या है ये ......ये जीवन है ..

अंशु हर्ष

Tuesday, August 17, 2010


मंदिर में तेज ध्वनि में आरती ,
मज्जिद में अजान के के स्वर ,
चर्च में होती प्रार्थना ,
गुरुद्वारा में कीर्तन के बोल .......
पर फिर भी
मौन प्रार्थना जल्द पहुचती है इश्वर तक ,
क्योकी मुक्त्त होती है वो शब्दों के बोझ से .............