Tuesday, May 29, 2012

समझ


एक खाली कागज़ का टुकडा
थमा दिया तुमने मेरे हाथ
पहले तो में समझ नहीं पाया
क्योकि शब्द नज़र नहीं आ रहे थे उसमे
लेकिन महक रहा था कोना कोना और
दमक रहा था कोरा कागज़
फिर में समझा
तुमने अपनी ज़िन्दगी थमा दी है मुझे
और मुझे इसमें इन्द्रधनुष के रंगों से
रंगीन शब्द लिखने है हमारी ज़िन्दगी में ......
क्यों सही समझा ना में .....?

Friday, May 11, 2012

भ्रम

उसकी बातो के फूल
झरते  हुए बहुत खूबसूरत लग रहे थे
में निहार रहा था उन्हें अपलक -निरंतर
लेकिन जब दूरी कम हुई तो अहसास हुआ
ये फूल नहीं साबुन के बुलबुले है
जो पास आते ही बिखर गए और
दे गए चुभन आँखों में .................