Sunday, September 5, 2010


इश्वर की बनायीं स्रष्टि में सब ख़ास होता है

तभी तो वो माँ के रूप के बाद शिक्षक रूप में होता है ...............

छोटा सा बच्चा जब स्कूल में जाता है ...

पेंसिल पकड़ने का ज्ञान उसे शिक्षक ही बताता है ,

उसी कालम के ताकत पर बच्चा सफल होता जाता है ,

किसी को डॉक्टर , इंजिनियर ,किसीको कलेक्टर ......

शिक्षक ही बनाता है .....

शिक्षक वो आग है जो कच्चे घडे को पकाते है ,

जीवन के पथ पर निर्भय होकर चलना सीख्लाते ,

उनका दिया ज्ञान जीवन पर्यंत चलता जाता है ...

खुद उलझा है पर अपने शिष्यों को सुलझाता है ...

शिक्षक है समाज का सबसे अहम् व्यक्तित्व ।

इनके शिक्षा से ही देश के भविष्य की टिकी नींव

शिक्षक है उस मोमबती के सामान

जो स्वयं जलकर ,दूसरो का रोशन करता जहाँ..........

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