Tuesday, November 27, 2012

सपनो के नए रंग

 
एक छोटी सी चिड़िया ....
उड़ने को आतुर
पर मन में घबराहट
विस्तृत नील गगन को देख
और एक दिन ....
मिला एक साथी
जो उड़ता था उन्मुक्त गगन में
पुकारा उसने चिड़िया को
चलो एक नयी उड़ान दे सपनो को
चिड़िया घबराई पर
थाम कर हाथ
अपने साथी का
पंख पसार खुले गगन में आई ..
सपने खिले नया रंगों में ...
पंखो में नयी जान आई
अब चिड़िया भर रही उन्मुक्त उड़ान
इन्द्रधनुषी रंगों से दुनिया रंगीन बनायीं .

 

Monday, November 19, 2012

बस की बात

हवा की तेज़ सरसराहट से
शाख से अलग हुआ पत्ता
इठलाता , झूमता
घूमता हुआ इधर उधर
बह चला नदी के पानी में
तैरता हुआ ....बोला
ओह ...मुझे तैरना भी आता है ...
यु ही टंगा था इतने दिनों से .??
शाम ढले शाख ने आवाज़ दी ...
लौट आओ ..
पर ..पत्ता हुआ उदास
बोला नहीं रही अब ये
मेरे बस की बात
 
 

कुछ हट के ......

एक डायरी लिखा करता था में ..
जब किसी बाग़ में बैठा
तुम्हारा इंतज़ार किया करता था
बाग़ के फूलो से ज्यादा
तुम्हारी यादे महका जाती थी मझे
और उस पल बन जाता था नए किस्सा
मन की गलियों में और फिजा भी महक जाती थी ...
और अब आज भी डायरी हाथ में है
लिखता हूँ हिसाब उसमे .....
और अब तुम्हारी यादे नहीं
तुम्हारी आवाज गूंज जाती है कानो में .....
और फिर बन जाता है नया किस्सा
और चाय की प्याली फिर ठंडी हो जाती है ......

फुहारे

आसमान से बरसता पानी
कभी तेज़ कभी रिमझिम ...
सुखद अहसास है ..
ठंडी हवाओं का चलना
और बालकनी में बैठ
फुहारों से खेलना
लेकिन ..उसी पल याद आती है
कुछ ऐसे लोगो की
जिनके सर पर है खुला आसमान
और खुली सड़के ही है जिनकी बालकनी
क्या वो भी खेलते है इन फुहारों के साथ या
ये फुहारे खेल जाती है उनकी ज़िन्दगियो से ...........