Wednesday, September 29, 2010


जीवन किसे हाथ .........

जीवन नन्ही पानी की बूँद का ...
गिरे अगर रेतीले रेगिस्तान पर ,
ग़ुम जाता है सूखी रेत पर उसका वजूद ....

ओर बगिया में फूल पर गिरे तो ,
सुकून मिलता है देखने वालो को कुछ पल ,
प्रकर्ती की सुन्दरता कहलाती है ओर
ख़तम हो जाती कुछ देर बाद

लेकिन वही नन्ही सी बूँद ,
स्वाती नक्षत्र में सीप में गिरे तो
मोती बन जाती कर अमर हो जाती
ओर बेशकीमती आभूषण बन अमर हो जाती

सोचने सिर्फ ये है की
इस बूँद का गिरना किसके हाथ है...
कर्म ,किस्मत इश्वर या प्रारब्ध ??????

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