Thursday, July 26, 2012

बारिश की बूंदे

नींद भरी आँखों से देखा
कोई दे रहा था दस्तक दरवाजे पर
उठ कर देखा ..
ये तो पहली बारिश की बूंदे थी
और खुश हो गया मन
मनचाहा मेहमान जो आया था
जो अपने संग ले आया था
सुनहरी सूरज की किरने
इन्द्रधनुष , सौंधी सी माटी की महक
सुहानी सी पुरवाई और
हरियाली में डूबी पूरी कायनात
खुले रहने दो दरवाजो को
और बहने दो मौसम को खुमारी से
ता उम्र .......
 

Friday, July 6, 2012

ख़त

वक़्त जो चला गया है तुम्हारे साथ का
उसे भी ख़त लिखा है
एक बार फिर लौट आने के लिए
देखते है
बदला वक़्त ख़त का मतलब जानता है
या उसे भी इ मेल करना पडेगा ...............
( पता है मुझे बिता हुआ वक़्त वापिस नहीं आता मगर यूँ ही ....)