सर्दियों की धूप में
घर के खुले आँगन के एक कोने में
लगा हुआ था माँ का चुल्हा
जिस पर पकती थी
कडकडाती ठण्ड में
मक्का और बाजरे की रोटिया
आँगन की धूप में बैठ कर
वो गरमा गरम खाना
गुनगुनी धूप का आनंद और
और वो स्वादिष्ट खाना /
उसी धूप में बैठ माँ
उंगलियों पर सलाईया नचाती थी और
नए नए स्वेटर बना सभी को पहनाया करती थी
बैठ पड़ोसन के पास अपने अनुभव सुनाती थी
कभी नयी डिजाइन तो कभी नया स्वाद
सहेलियों के साथ सर्दी की धूप का
अलग ही था अंदाज /
सर्दी की धूप तो तभी सुहाती थी
जब तेज सर्दी में भी
सूरज की किरणे मेरे आंगन में उतर जाती थी
और अब
वह आंगन कहा अब तो फ्लेट है
और चूल्हे की जगह
माइक्रोवेव और हॉट प्लेट है
अब इतना समय कहा की फ्लेट से उतर
गार्डन में धूप का आनंद लेने जाया जाये
अब तो बस ये होता है
रूम हीटर चलाया जाए और
फेसबुक पर ही दोस्तों से से गप लगा ली जाय
हाथ के बने स्वेटर अब कौन पहनता है
ब्रांडेड के बारे में नयी जानकारी इन्टरनेट दे देता है
सर्दी की धूप तो अब भी निकलती है
पर उसका आनंद लेने वाली जिन्दगिया
चार दिवारी में केद रहती है /