में हूँ एक फूल
जो कभी गुलदस्ते में सजकर
भावनाओं का आदान प्रदान करता
कभी माला बन इश्वर के गले में सजता
कभी चक्र में सुशोभित हो
शहीदों को नमन करता
कभी वर माला बन किसी के
नवजीवन की शुरुआत करता
और कभी कुछ नहीं कर पाया तो
उसी पौधे की जड़ो में बिखर
तन मन को उसी में विलीन कर
उसका पोषक बन अपना
जीवन सफल करता
में हूँ वो फूल जो हर परिस्तिथि में
अपनी खुशबू बिखेरता
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