ये जीवन पतंग सा
रंग -बिरंगा , अजब अलबेला
कई रूप और कई रंग
कभी तेज हवा सहन करता
कभी तेज धुप
कही पेच उलझे तो कही कटी डोर
कोई काटने का जश्न मानता तो कोई उड़ने का
भूल कर ये बात की किसी दिन
डोर वाले हाथ ने चाहा
तो ज़िन्दगी जमीन पर आ जायगी
चाहे वो कागज़ की पतंग हो
जिसकी डोर है हमारे हाथ
और चाहे पंचतत्व की
जिसकी डोर आसमा वाले के हाथ .........
रंग -बिरंगा , अजब अलबेला
कई रूप और कई रंग
कभी तेज हवा सहन करता
कभी तेज धुप
कही पेच उलझे तो कही कटी डोर
कोई काटने का जश्न मानता तो कोई उड़ने का
भूल कर ये बात की किसी दिन
डोर वाले हाथ ने चाहा
तो ज़िन्दगी जमीन पर आ जायगी
चाहे वो कागज़ की पतंग हो
जिसकी डोर है हमारे हाथ
और चाहे पंचतत्व की
जिसकी डोर आसमा वाले के हाथ .........
बहुत सुन्दर रचना|
ReplyDeleteGyan Darpan
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