बीते हुए लम्हों की कसक साथ लिए वक़्त अपने रास्ते चला जा रहा है और हम उसे थामने की कोशिश में ज़िन्दगी के सफ़र में चलते जा रहे है , चलते हुए कई साथ छूटे , कुछ नए कदम इस सफ़र में साथ चल दिये , अपनी नादानियों में चाँद से रूठे कभी सितारों की छांव में भी जले ... कभी अंधेरी राह में दिल जला कर उजाला किया तो कभी कांटों की चुभन के साथ फूलों को दिल में बसाया ...और ये सब मुमकिन हुआ वक़्त के दिए अनुभवों से ...सत्रहवां साल बहुत अहम होता है ज़िन्दगी में चाहे खुद का हो या सदी का जो यह साल सिखाता है वो एक कहानी बन प्रेरक बन जाता है ज़िन्दगी की किताब में ...चलिए चल देते है शब्दों की उंगली थाम बालिग़ वर्ष की ओर ...
ये सोचते हुए ... यादों के चरागों को जलाये हुए रखना लंबा है सफ़र इसमें कहीं रात तो होगी ....बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी ....
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