Thursday, July 6, 2017

शब्द ही तो दुनिया तेरी मेरी ....

शब्द ही तो दुनिया तेरी मेरी ....
किसी से मुलाक़ात का पहला आत्मीयता भरा अभिवादन हो या किसी के लिखे गए शब्दो को पढ़ने से मिलने वाला सूकून शब्द ही तो है जो हमें किसी से जोड़ते है।  कभी लिखे गए कभी बोले गए शब्द ही है जो एक नयी दुनिया बना देते है हमारे चारो तरफ ।  प्रेम , हौसला , हिम्मत , प्रोत्साहन ,  मार्गदर्शन , सम्मान सब शब्द ही तो जो जीवन को आधार देते है। इनका जन्म विचार से होता है और फिर ये व्यवहार में उतर आते है। ये व्यवहार हमें रिश्तो में बाँध देता है और फिर हर शख्स सूकून तलाशता है उस रिश्ते में उस व्यवहार से , शब्दो से।  शब्द कभी मुस्कुराते है कभी राजे दिल बयां  करते है , शब्दो से ही आस है विश्वास है और कभी जब शब्द रूठ जाते है तो खामोशी का रूप ले एक अलग अंदाज में नज़र आते है। तब हम वो भी सुन और समझ लेते है जो किसी ने कभी कहा भी नहीं।  शब्दो से ही तो जीवन में गहराई है । वो गहराई जिसका पार  पाना कभी कभी संभव नहीं होता मन डूबता चला जाता है  उस गहराई में जहाँ  से लौट आना असंभव सा लगता है।  
जीवन की ख़ूबसूरती भी तो शब्दों से बयां होती है , शब्द ही तो हमें जीवन की राहें दिखाते है कभी वो राहें जँहा  भीड़ है और कभी सुकून भरी राहे  जंहा तन्हाई है और सिर्फ हम है अपने शब्दो के साथ। हमारी कल्पनाओ को एक रूप देते ये शब्द हमारे जीवन की कहानी लिखते है , हमारे सपनो को एक रूप देते है।
मेरे शब्द मेरी कलम से निकले मेरे जस्बात मेरी बाते मेरे जीवन के अनुभव है।  मुझे नहीं पता ये किसी के जीवन को  बदलने की कितनी ताकत रखते है लेकिन जब मेरी ख़ामोशी को समझकर ये शब्द बाहर निकलते है मेरी कलम से तो मेरे  मन के समंदर में उठती लहरो को सुकून मिलता है।

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