कुछ दर्द जीने लगते है हमारे साथ
हमारे अंदर ,
गहराइयों तक अपनी जड़े जमाये हुए
खिलते है उन पर फूल भी
जो महकते है जीवन भर
दब जाते है ज़िन्दगी की ज़मीन में वो दर्द
लेकिन साथ नहीं छोड़ते
क्योकि वही दर्द तो हमें जीना सिखाते
कुछ बाते ठहर जाती है
मन के किसी कोने में दबी हुई
उलझी हुई
यही ठहराव तो बैचैन किये जाता है
कभी कभी
पता नहीं ज़िन्दगी हमें पढ़ती है
या हम ज़िन्दगी को पढ़ने की कोशिश करते है .
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