कभी तेज हवा के झोके से
दीये की रोशनी को
जब दोनों हाथो की ओट से
बचाया जाता था
उस रोशनी में तेजी देख
आँखों में चमक आ जाती थी
और अब
बिजली की लडियो से अनवरत आती रोशनी
बेफिक्री है तेज हवा के झोके से भी
पर फिर भी
ना आँखों में वो चमक है और
ना दिल में वो सुकून जो
उस दिए की लो को बचाने में था
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