Thursday, August 19, 2010




कोई परदे में बंद ओर कही बिलकुल बेपर्दा ,
कोई शक्ति का रूप तो कही बिलकुल अबला
कोई ममता का दरिया तो कही क्रूरता की हद ....
क्या है ये.............ये नारी है ..........
कोई दौलत के नशे में मस्त
तो कोई मदीरा पीके पस्त
कोई भाई का दुश्मन तो कोई जीवन सवारने में व्यस्त .....
क्या है ये..........ये नर है


कही सूखी जमीन कही अथा सागर
कही अकाल का साया तो कही भरे है गागर
कही सावन की ठंडी फुहारे तो कही
फटकर बरसते बादल ..........
क्या है ये .....ये प्रकर्ती है

कभी गर्मी के थपेड़े कभी बारिश की फुहार
कभी सर्दी की ठंडक ओर कभी सूखे पतों की मार
कभी बासंती रंग ओर कभी घटाए अपार
क्या है ये ..ये मौसम है ....



कुछ अन्सुल्जे सवाल कुछ निरुत्तर जवाब
कुछ अनकहे शब्द कुछ अनसुने वाक्य
कुछ सपने अधूरे से कुछ पुरे होने को बेताब .
क्या है ये ......ये जीवन है ..

अंशु हर्ष

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