जीवन में वो सादगी अच्छी लगती है
जब चाय माटी के कुल्हड़ में पी जाती है .......
वो सादगी सुहानी लगती है
जब गीली मिटटी से सौंधी महक आती है .............
वो सादगी मन को भाती है
जब खस की टाट पर पानी की बौछारे ठंडी हवाए लाती है ...
उस सादगी मन को सुकून देती है
जब बर्फ के गोले पर मीठी रसीली रबड़ी अपना स्वाद बिखेरती है
वो सादगी बड़ी सुरीली लगती है
जब एक बांस हवा से बजने लगते है और कान्हा की मुरली कहलाती है
Nice words adorned in simplicity.
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