ना जाने क्यों आज दिल में एक तन्हाई है
आज फिर उसी छत उसी शाम की याद आई है ..................
जब दिल की बाते कह कर बहला लेते थे एक दूजे को
अब कहा वो बाते , वो फ़ुर्सते , वो दिन
अब तो जिम्मेदारिया जान पर बन आई है .....................
तब ना आज की फ़िक्र थी ना कल की चिंता
बाते सिर्फ दिल की , सिर्फ खवाबो की
अब तो जीने में हर पल तिकड़म लगायी है ............
शाम की सुहानी हवा के मज़े तो तब थे
जब था दोस्तों का साथ और एक दूजे के लिए हम सब थे
अब है मीलो की दुरिया क्यों आँख भी आज भर आई है
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