Wednesday, February 29, 2012
Saturday, February 11, 2012
खुशबू उन सूखे हुए फूलो की
बंद है किसी अलमारी में तोहफे में मिली किताबे
अब तो दोस्त तोहफा भी पेन ड्राइव का देते है
गुजरता था वक़्त जो पन्ने पलटने में
अब तो अंगुलिया की बोर्ड पे रख देते है /
कभी नज़रे जमाये बैठते थे किताबो पर
अब कम्प्यूटर की स्क्रीन से हटती नहीं है
कभी सीने से लगाये सो जाते थे उन्हें
अब तो उसकी जगह भी टेबलेट ने ले ली है /
लेकिन नहीं है इस कम्पूटर और टेबलेट में
खुशबू उन सूखे हुए फूलो की
जो मिल जाते थे उन पुरानी किताबो में
जो महका कर उस पल को दिला जाते थे याद
किसी की पहली मुलाक़ात और हसीन लम्हों की
Tuesday, February 7, 2012
बचपन
बचपन की वो अमीरी ना जाने कहा खो गयी
जब बारिश के पानी में हमारे भी जहाज तैरा करते थे ..
वो हिम्मत वो हौसला कही छुप गया
जब कोहरे की सुबह साइकल पर निकल पड़ते थे
वो मासूमियत अब कहा
जब छत पर बैठ तारे गिना करते थे
अब कहा वो बेफिक्री जब
किसी के उदास होने की फिक्र भी ना किया करते थे
अब कहा ऐसी हुकूमत
जब रेत के घर बना उन पर नाम लिख दिया करते थे
अब कहा वो जिंदादिली जब
मिटटी में पानी मिला खूब कीचड़ से खेला करते थे
अब कहा वो अलबेलापन जब
गुब्बारों के रंग पर अटक जाया करते थे
अब समझदारी, दुनियादारी, वफादारी सब निभाने में लगे है
बचपन की वो नादानी कहा गयी जब इन सबको समझा भी ना करते थे /
Saturday, February 4, 2012
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