Tuesday, January 25, 2011

चिड़िया घर की सेर



जब पिंजरे में केद देखा

रंग्बीरंगी चीड़ीया को

मन हो गया उदास क्योकि ...

पंख दे कर उड़ान में विघ्न डालना

मुझे है नापसंद ,

पर शांति दूत ये पक्षी ,

सहन करते है इस बंधन को

क्योकी

जानते है वो ....

प्रकर्ति पर कलियुग का है प्रकोप

ऑंधी चली, बिजली कड़की, ओले गिरे,

बेमौसम बरसात का भी है जोर

कोंन करेगा रखवाली हमारी

यहाँ चारदीवारी में केद है

पर ........

सब अपने है , सब साथ है ,सुरक्षित है .

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