Saturday, December 18, 2010

नतमस्तक स्वीकार करो .........


जब हम छोटे थे ..एक टॉफी भी भगवान् से मागंते
भगवान् प्लीज आज कोई टॉफी गिफ्ट कर दे
फिर पास होने की दुआ मांगते
और फिर हजारो की नोकरी की .........
जीवन की भूल भूलया में क्यों हम भूल जाते
वो तकदीर लिखने वाला सब जानता है
हम नहीं जानते की कही उसने
एक की जगह दो टॉफी
पास से ज्यादा नब्बे प्रतिशत
और लाखो की नोकरी की तकदीर लिखी हो ...................
नहीं जानते हम की कही हमारी चाहते कम हो और
वो देना अधिक चाहता हो ..........
इसलिए मांगो मत ...नतमस्तक स्वीकार करो .........

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