माँ
शब्दहीन है .... माँ की गोद का सुकून ....
जो हर ले ता है सारी पीडा और उलझन ....
मिलता है ममता से वो आनंद
जिससे मन हो जाता है प्रस्सन ......
माँ .......
दूर रहकर भी समझ जाती हो मेरे जस्बात ........
छोड़ जाती हो अपने पास होने का अहसास ......
विदाई के समय की हर सीख है याद पर...........
माँ को भूल जाना कह होता है आसान..
मीलो दूर है .............
वे उंगलिया जो तेल लगाती थी बालो मैं ...
और वो हाथो की मीठी थपकी जो लगती थी गालो पर ........
उन हाथो का खाना जो इतने सालो नखरे से खाया और
वो दूध कभी पीयाकभी नज़र चुराकर गिराया ......
तरस जाती हूँ
कभी उस खाने को
कभी प्यार से कभी डांट कर खिलाती थी तुम जैसे
i don know what i post comment on this sweet thought MAA.... heads off. nice one
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