माँ , कैसी होती है ,
कोई कहता है सागर जैसी कोइ कहता आकाश जैसी ,
कोई कहता धुप में छाया जैसी ,
या रेगिस्तान में पानी की बूँद जैसी
लेकिन में इन सबको नहीं जान पाता हूँ ...
में माँ का छोटा बच्चा हूँ ,सिर्फ माँ को पहचान पाता हूँ
मेने माँ को देखा है माँ ऐसी होती है .........
जो मुझे खिलाती है , पिलाती है लोरी गाकर सुलाती है ,
सारे घर का काम छोड़कर मेरा दुलार करती है ,
रात को जब में रोता हूँ तो सीने से लगाकर सुलाती है
दिन भर जब खेल करता हूँ तो सारी थकान भूल जाती है
अपने जीवन का सबसे कीमती "वक़्त " मुझे देती है
माँ सबसे सरल है इस दुनिया में तभी तो
सबसे पहले माँ बोल पाता हूँ
माँ सिर्फ माँ है कोई उपमा की नहीं दे पाता हूँ
में छोटा सा बच्चा हूँ , सिर्फ माँ को ही जान पाता हूँ
great keep it up..
ReplyDeletevery nice.....
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