Monday, February 11, 2013

सौगात

सुखी रेत पर पानी की कोई बूँद गिरी


तुमसे मिल कर ये रूह कुछ इस तरह खिली



वादियों में फूल खिलने लगे कुछ इस तरह

नूर की बूँद इन जड़ो को जैसे आज मिली



मोहब्बत के फ़रिश्ते बन कर तुम ऐसे आये हो

अँधेरी रात को सितारों की जैसे सौगात मिली

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