Thursday, September 27, 2012

लाडली

 

तुमसे है मेरे आँगन में धुप और छाया
तुम ही से तो मेरे बाग़ में फुल मुस्कुराया

तुम हो तो कड़ी धुप भी सुहानी लगती है
तुम से तो बारिश की बूंदे रूहानी लगती है

तुम हो मेरे घर के मंदिर की पूजा
तुम हो गणपति के चरणों की दुर्वा

तुम हो तो रोशन है दिवाली के दिए
तुम से निखरे है होली के रंग खिले
तुम हो भाई की कलाई पर चमकती डोरी
तुम से ही होती है त्यौहार की रोनक पूरी

तुम हो तो एक आस है विश्वास है
तुम से जीवन की हर बात में मिठास है .

तुम हो बेटी मेरे जीवन का मान ,
तुम से ही है लाडली सुख और सम्मान .

1 comment:

  1. बहुत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अंशु जी....
    वाकई बेटियों सा प्यारा ईश्वर के कुछ और नहीं बनाया....

    अनु

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