नींद भरी आँखों से देखा
कोई दे रहा था दस्तक दरवाजे पर
उठ कर देखा ..
ये तो पहली बारिश की बूंदे थी
और खुश हो गया मन
मनचाहा मेहमान जो आया था
जो अपने संग ले आया था
सुनहरी सूरज की किरने
इन्द्रधनुष , सौंधी सी माटी की महक
सुहानी सी पुरवाई और
हरियाली में डूबी पूरी कायनात
खुले रहने दो दरवाजो को
और बहने दो मौसम को खुमारी से
ता उम्र .......