Wednesday, October 5, 2011

काश में चाँद बन जाऊ


काश में चाँद बन जाऊ
आसमान में रहू
जमीन पे सिर्फ नज़र आऊ

दूर फलक से बिखेरू अपनी चांदनी
जमीन का कोना कोना रोशन कर जाऊ

उन्मुक्त गगन के आचल में खेलु
तारो को अपना दोस्त बनाऊ

कभी आधा कभी पूरा
कभी बादलो की ओट में छुप जाऊ

चांदनी से शीतलता मिले सबको
और सिर्फ प्रेम की बातो में नजर आऊ

नफरत , अहंकार , और कटुता से दूर
फलक पर मुस्कुराता नज़र आऊ

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