Thursday, April 7, 2011
नियम
आना जाना और फिर से आना ....
अगर यही संसार का नियम है तो ..
नज़र आना जरूर मुझे ..
किसी और रूप में ही सही ...
पर पहचान जाना तुम मुझे .............
Wednesday, April 6, 2011
नारी के रूप
सबसे पहले बेटी के रूप में इस धरती पर आई
इश्वर का अप्रतिम उपहार कहलाई
माँ के सुख दुःख की राजदार
पिता की तरक्की का आगाज
सीने में धडकते दिल का अरमान बन कर जगमगाई
बहन के रूप में
भाई के आँगन की चिड़िया बन चहचहाइ
बगिया में खिले फूलो सी महकाई
भाई की कलाई पर राखी बन कर मुस्कुराई
पत्नी के रूप में
हर रिश्ता जीवन का निभाया इस बंधन में
खुद को भूल कर एक नयी दुनिया बसाई
नए नए रिश्तो को अपनाया फिर भी
ये सुनने को तरसे मन ...
की तुम से ही तो हमारी दुनिया जगमगाई
माँ के रूप में
शब्दहीन है .... माँ की गोद का सुकून ....
जो हर ले ता है सारी पीडा और उलझन ....
उस सुकून भरी गोद का आनंद सब लेते है पर
क्या कीसी ने कभी माँ की पीडा और उलझन की
करनी चाही सुनवाई ...........
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