Wednesday, February 16, 2011

शक्ति थी तुम


बाई................

एक द्रश्य शक्ति थी तुम , लेकिन अब अद्रश्य हो गयी

यु लगता है जीवन में कुछ कमी सी हो गयी

कहा जायंगे अब हम उलझे मन को लेकर

कोंन सुलझाएगा अनसुलझे सवाल

और

कोंन विश्वास दिलाएगा "राम जी" के होने का ....

जानता है मन तुम साथ हो

एक अद्रश्य शक्ति हो

लेकिन फिर भी पाना चाहता है ये मन

वो मीठे पताशे , वो दूध का प्याला , वो कडकडाते नोट

और उन उंगलियों की पकड़ आज भी .................