
नाजुक उम्र में दिल की धड़कन को आहिस्ता धड़कना सिखाया
वही आवाज़ दिल को छु गयी
जब पहले प्यार का पहला ख़त लिखना आया
हुस्न की तारीफ़ में चौदवी का चाँद भी शरमाया
अपने प्यार को देखने के ख्याल को शब्द देना
इसी आवाज़ ने बतलाया
जब नज़रे मिली तो झुकी हुई नजरो की बेकरारी को
इसी आवाज ने पहचान दी
जब घर बसाया तो उस ख़ुशी को जस्बात देना
इसी आवाज़ ने सिखलाया
कभी जीवन के हालातो में मन घबराया
तो हवाओं के रुख को समझना इसी आवाज़ ने समझया
कभी बचपन के अनमोल पलो को जिया
तो कभी होश में भी बेखुदी को समझाया ...
हर पल हर वक़्त हर जस्बात को आवाज़ दी
चले गए दूर जहा ना चिट्ठी है ना सन्देश
फिर भी अहसास करंगे उन जस्बातो को
जिनको इस आवाज़ ने जी भर के जीना सीखाया है